Hey Reader! This blog is all about articles, poems, stories, facts and quotes related to love , life and motivation.
हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां
Monday, 30 October 2017
Sunday, 29 October 2017
दोस्ती की नौका
अनजाने थे हम दोनों, एक नई मोड़ पर
न तेरा कुछ बहारा था न मेरा कुछ सहारा था
आए थे अखबार बनकर, इस नेत्र-ए-अंजुमन में
न आगे कोई किनारा था न पीछे कोई किनारा था
शनै:-शनै: प्रविष्ठ हुए जब अल्फाजों की दुनियां में
अश्फाक से अव्वल रहे, मित्रता की राहों में
अभी तो शुरूआत थी चलना भी अनन्त तक था
लेकिन हुआ ऐसा भूल भुलैया भटकने लगा चौराहों में
बन गया मैं भ्रमित पंछी,
तरु दोस्ती का महफूज समझा
उखड़ गया वो तेरी भावनाओं की आंधियों में
जिसको मैंने मूल से मजबूत समझा
धूल भरके चक्षुओं में, स्वप्नों को संजोता रहा
बिना शूलों की परवाह किए, लड़खड़ाकर चलता रहा
अभी तक अनजान हूं तेरी आन्तरिक उक्तियों से
फिर भी तेरे कन्धों से कन्धा मिलाता रहा।
Friday, 27 October 2017
पूरब का चांद
देख तेरे गुलज़ार में आगोश का पैगाम आया है
अब गुफ्तगू करले उन गुलबदन नयनों से
पता है अब तेरे दिल में हैरानियत का साया है
लेकिन घबराने की कोई ज़रूरत नहीं
जो सिर्फ तेरा अपना है वही तेरे पास आया है
हासिया नहीं होगा मेरे सफर-ए-इश्क़ का
तेरी अदा ही मेरी शोभना है
अब तो मेरी दिल-धरा पर पूरब का चांद उतर आया है।
Thursday, 26 October 2017
Tuesday, 24 October 2017
एक दिन की बात
जब कलियां खिलने से पहले मुरझा जाती हैं,
उम्मीदों की नीवें जब बाढों में बह जाती हैं,
आंखों की नदियां भी प्यासी रह जाती हैं
एक वो छोटी सी कोशिश भी मारी मारी फिरती है
तब ये दिल का भंवरा गुंजन करता है
क्यूं हतास है उन झूठी छवियों पर
रौंद डालेगा तू उन बंजर वज्र ह्यदयों को
तब तेरे लिए ये जहां हंसीन बन जाएगा।
Monday, 23 October 2017
Wednesday, 18 October 2017
DIWALI SPECIAL ( DEDICATED TO OUR SOUL )
इस दिवाली के पावन पर्व पर मैं आप लोगो के लिए लाया हूँ एक DIWALI SPECIAL ( DEDICATED TO OUR SOUL ) कविता जिसमे मैं आप लोगों से सदैव कर्मशील रहने की आशा करता हूँ और अपने भीतर के अंधकार को दूर करके ना ना प्रकार के दीपों से अपने हृदय को सजाएं।
साथ ही मेरी तरफ से आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
WISH YOU A HAPPY DIWALI
साथ ही मेरी तरफ से आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
WISH YOU A HAPPY DIWALI
दिल में शमा जला , जीवन रौशन बना रहे
पीर की शिला मिटा , जेब खाली न रहे
तोड़ दे उन बेड़ियों को , खोल दे उस लंगर को
जो रोकती थी तैरने में , धरा पार समंदर को
खुशियों की बरसात हो , प्यार की जगमगाहट हो
हो सृजन चमन उस महा कर्मयोग का
गर दे करताल इस जग में , भभक उठे सूरज उस नभ का
कर खड़ा एक लौह स्तम्भ , अविचलित आशाओं का
हो न समर्पित तकदीरों पर , ये तो अपना खिलौना है
खेल उन मुश्किलों से , चूर कर तकरारों को
लहरा विजय की पताका यह जिंदगी का जीना है।
ONCE AGAIN HAPPY DIWALI............Thank you
Saturday, 14 October 2017
जीवन की उड़ान
जीवन में कभी कभी मुश्किलें , टूटी हुई उम्मीदें , बँधा हुआ धैर्य और एक भीतर की आवाज़ जिंदगी बदल देने के लिए काफी है औरों की जिंदगी से तुलना करने से अच्छा है स्वयं कोई रास्ता ढूँढ निकालो और हमेशा उस पल की तलाश करो जो तुम्हे कुछ नया सीखने का अवसर दे.
चुप रहूं , सो जाऊँ या खुश रहूँ
हे ! गगन तू कुछ तो बता दे
आजकल तो उड़ने में भी डर लगता है
भूल गया हूँ तू मेरी उस मंजिल का पता दे
कहाँ - कहाँ ढूँढा मैंने तुझे
समन्दर को पार कर ,पहाड़ो को लांघकर
आ खड़ा हूँ उस ढाल पर
गिरा है न हौसला और न हैं पंख थके
हे ! गगन तू कुछ तो बता दे
चीर दूँ हवाओं के झोकों को
कुचल दूँ उन कँटीले शूलों को
जो अक्सर चुभा करते हैं
हे ! गगन तेरे तले
अब तो नकुल बनकर देखना पड़ेगा
उस चंचल सर्पिणी के लिए
अपना मोती गिरने न दूंगा
उस मोह - प्यारी मणि के लिए
तमन्ना है उन सारंग लताओं की
झूल सकूँ मैं जीवन जिसमें
जीवन एक बसंत है
खुशियों का न अंत इसमें
हे ! गगन पता चल गया अब वो
मंजिल मेरे सामने है
पथ प्रदर्शक मैं ही हूँ
और मुझ ही को चलना इसमें
Thursday, 12 October 2017
Tuesday, 10 October 2017
Sunday, 8 October 2017
JIVAN KE ANGAARE
जीवन में कभी कभी कुछ ऐसे भी मोड़ आ जाते हैं जहाँ से गुज़रना आग के अंगारों में चलने जैसा होता है चूंकि वो अंगारे किसी अपने ही मित्र या फिर विश्वास पात्र की देन होती है फिर भी गुज़ारना पड़ता है।
एक शूल ऐसा लगा उर में
लहू फिर भी निकल न सका
ज्वाला बुझ गयी ,व्यथा बन गयी
मोम का था मैं फिर भी पिघल न सका
बैठ जाता हूँ अक्सर उस आना के किनारे ,
पीर की गहराइयों की माप के लिए
लहरों की हलचलें अब थमती नहीं
सिमट जाता हूँ अज्ञात ज्वार से उस संताप के लिए।
एक शूल ऐसा लगा उर में
लहू फिर भी निकल न सका
ज्वाला बुझ गयी ,व्यथा बन गयी
मोम का था मैं फिर भी पिघल न सका
बैठ जाता हूँ अक्सर उस आना के किनारे ,
पीर की गहराइयों की माप के लिए
लहरों की हलचलें अब थमती नहीं
सिमट जाता हूँ अज्ञात ज्वार से उस संताप के लिए।
Friday, 6 October 2017
अतीत की स्मृतियां
जिंदगी के कुछ पल , पल - पल रुलाते हैं
नहीं पता था ये बचपन भी
अतिशीघ्र शिखर पर पहुंच जाएगा,
सघन हो जाएगी ये जिन्दगी तब ये लघु विहार बहुत याद आएगा
खोलता हूं जब पोटरी
यूं अकेला बैठकर
मेघ बरसने लगते हैं
वो नयन से धरातल तक
अतिशीघ्र शिखर पर पहुंच जाएगा,
सघन हो जाएगी ये जिन्दगी तब ये लघु विहार बहुत याद आएगा
खोलता हूं जब पोटरी
यूं अकेला बैठकर
मेघ बरसने लगते हैं
वो नयन से धरातल तक
चुभ रहीं हैं वो स्मृतियां
जम गए है वो एक - दो पल
ह्रदय भी विक्षत बैठ गया
अब आज हो ना कल
मेघ धाराएं विभक्त हो गईं
उन दिव्य विषादों के नीचे
मयंक! इस यथार्थ भव में मौत से बढ़कर कुछ नहीं
तभी लगते हैं सब फीके - फीके
-Mksharma
जम गए है वो एक - दो पल
ह्रदय भी विक्षत बैठ गया
अब आज हो ना कल
मेघ धाराएं विभक्त हो गईं
उन दिव्य विषादों के नीचे
मयंक! इस यथार्थ भव में मौत से बढ़कर कुछ नहीं
तभी लगते हैं सब फीके - फीके
-Mksharma
Wednesday, 4 October 2017
रुक न राही तू
जिंदगी एक दौड़ है अगर जीत गए तो विजय मिलेगी नहीं तो अनुभव। इसलिए रुकना मना है।
रुक मत राही तू
ये जिंदगी एक जंग है
हर पल तेरे संग है
देखकर आसमानों को
खड़ी एक मसाल कर
रुक मत राही तू
हाँथ में एक तलवार हो
दिल में विजय की डंकार हो
टूट जाने दो मनोहर
तू यहाँ अकेला है
कर एक ऐसी मनमानी
हो जाये भूतल में पानी
रुक न पाएँ पाँव तेरे
कदम कदम पर शूल हैं बिखरे
इसका अफ़सोस न करना तू
हे ! मयंक न रुकना तू
Tuesday, 3 October 2017
Happy Diwali to all of you
आओ २०१७ की दीपावली को बेहतरीन बनाएं ,और अपने वातावरण को स्वच्छ बनाएँ
सुन ले ये बालक नादान !
डालता क्यों है जोखिम में जान
क्यों दिवाली को गन्दा कर दिया
बम पटाखों का उपयोग किया
दौलत धुआं बन जाती है
ये बात समझ न आती है
पहुंचता है हरियाली को नुकसान
होता है सांस, खांसी और जुकाम
खुदा भी अब रो रहा
ये जहाँ में अब क्या हो रहा
वो सुहानी हवा, वो शीतल जल
सब प्रदूषित हो रहा
आ गया है समय वो अब
आतिश का बहिष्कार करना है
गर जिंदगी बचाना है
मयंक ! चलो अब हम साथ चलें
जहाँ चहकें पक्षी
मँहकते सुन्दर पुष्प खिलें।
सुन ले ये बालक नादान !
डालता क्यों है जोखिम में जान
क्यों दिवाली को गन्दा कर दिया
बम पटाखों का उपयोग किया
दौलत धुआं बन जाती है
ये बात समझ न आती है
पहुंचता है हरियाली को नुकसान
होता है सांस, खांसी और जुकाम
खुदा भी अब रो रहा
ये जहाँ में अब क्या हो रहा
वो सुहानी हवा, वो शीतल जल
सब प्रदूषित हो रहा
आ गया है समय वो अब
आतिश का बहिष्कार करना है
गर जिंदगी बचाना है
मयंक ! चलो अब हम साथ चलें
जहाँ चहकें पक्षी
मँहकते सुन्दर पुष्प खिलें।
Monday, 2 October 2017
WISH YOU A HAPPY GANDHI JAYANTI
गाँधी जयंती के पवन अवसर पर कुछ पंक्तियाँ प्यारे बापू को समर्पित
जब कहीं सत्य का जिक्र किया जाता है
नाम तेरा ही होंठों पर आ जाता है
धन्य हो गयी पावन धरा ये
लिया जन्म जब इस महशूर ने
फिरंगियों को जिसने धू ल चटाई
सत्य अहिंसा की भाषा सिखलाई
की वकालत जब स्वाधीनता पर
हो गयी जंग इस भारत धरा पर
तब उसने असहयोग चलाया
साइमन को वापस भिजवाया
ठान लिया की
अंग्रेज़ों से भारत छुड़वाना है
प्रण लिया तब इसने
कर के दिखाओ या मर के दिखाओ
थाम अहिंसा की मसाल
कर दिया उसने कमाल
वो माँस हीन प्राणी इस जग का
बन गया राष्ट्रपिता हम सबका
हुआ जिसके आदर्शों से जीवन धन्य
करता हूँ मैं उसे सत सत नमन
जब कहीं सत्य का जिक्र किया जाता है
नाम तेरा ही होंठों पर आ जाता है
धन्य हो गयी पावन धरा ये
लिया जन्म जब इस महशूर ने
फिरंगियों को जिसने धू ल चटाई
सत्य अहिंसा की भाषा सिखलाई
की वकालत जब स्वाधीनता पर
हो गयी जंग इस भारत धरा पर
तब उसने असहयोग चलाया
साइमन को वापस भिजवाया
ठान लिया की
अंग्रेज़ों से भारत छुड़वाना है
प्रण लिया तब इसने
कर के दिखाओ या मर के दिखाओ
थाम अहिंसा की मसाल
कर दिया उसने कमाल
वो माँस हीन प्राणी इस जग का
बन गया राष्ट्रपिता हम सबका
हुआ जिसके आदर्शों से जीवन धन्य
करता हूँ मैं उसे सत सत नमन
Sunday, 1 October 2017
एक तू ही है.
कभी कभी इस दुनियाँ में कुछ चित्र ऐसे नयनों में बस जाते हैं की सम्पूर्ण दिनचर्या वही तक सीमित रह जाती है।
एक तू ही है
जिसकी रश्मि होता है ,
चमकती है तू मेरे उस सूने प्रसून में
जिसकी गहराइयों में एक
आशा का बसेरा बसता है
नयन भी अब मोह जाते हैं
उस विलक्षण तश्वीर से ,
अतीत को मैं भूल गया
उसकी मुसकनों के संग मैं झूल गया
अब तो एक नई प्रीति बहार आने वाली है
एक तू ही है
जिसकी लालिमा मेरे हृदय में बसने वाली है
हो कुसुम तुम मेरे उस शशि की
जिसका भ्रमर यूँ बेताब है
कहने को तो तुम कुछ भी कहो
तू मेरा एक अकेला मनोहर ताज है।
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