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Thursday, 26 October 2017

चांदी का छुरा


अगर फेंका पत्थर पानी में तो
पीर की लहरों का उठना तो तय है,
तोड़ा अगर फूल को उसके आशियाने से
तो मुरझाकर बिखरना तो तय है,
चले तू उन जफर की राहों में
तो चांदी का छुरा चलना तो तय है,
टकराया अगर नेह - घन उस बेरहम शिला से
तो उसका भी  बरसना तय है।

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