हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Tuesday, 24 October 2017

एक दिन की बात



जब कलियां खिलने से पहले मुरझा जाती हैं,
उम्मीदों की नीवें जब बाढों में बह जाती हैं,
आंखों की नदियां भी प्यासी रह जाती हैं
एक वो छोटी सी कोशिश भी मारी मारी फिरती है
तब ये दिल का भंवरा गुंजन करता है
क्यूं हतास है उन झूठी छवियों पर
रौंद डालेगा तू उन बंजर वज्र ह्यदयों को
तब तेरे लिए ये जहां हंसीन बन जाएगा।

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