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Sunday, 13 January 2019

पुष्कर तीर्थ स्थल के बारे में कुछ रोचक तथ्य (The facts about Pushkar Tirth in hindi)

पुष्कराज ( तीर्थ गुरु ) , जहाँ है ब्रह्मा जी का एकलौता मंदिर -

अजमेर से पुष्कर 
Ajmer to Pushkar

अजमेर से 11 किलोमीटर राजस्थान के मध्य में स्थित पुष्कर नामक स्थान तीन ओर  से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। समुद्र तल  से 1580 फुट की ऊंचाई पर स्थित पुष्कर तीर्थ , पुष्करराज़ के नाम से भी जाना जाता है चारो ओर  से प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पुष्कर तीर्थ अपनी नयनाभिराम  झील के लिए भी प्रसिद्द है जहाँ लाखों लोग देश - विदेशों से धार्मिक दृष्टि से डुबकी लगाने आते हैं। 

पुष्कर घाट 
पुष्कर सरोवर 

धार्मिक मान्यतानुसार पुष्कर तीर्थ पर एक दिन संध्या करने पर 12  वर्षों तक की संध्या के बराबर उपासना का फल मिलता है। 
पुष्कर सरोवर आरती:-


पुष्कर झील ( जो पुष्करराज़ व पुष्कर सरोवर के स्वरुप के रूप में जानी जाती है ) में  भक्तजनों के स्नानार्थ 52 घाट  बने हुए हैं  इनमें गऊ घाट, ब्रह्म घाट, वराह घाट, बद्री घाट, सप्तऋषि घाट, तरणी घाट सहित अन्य घाट शामिल हैं। खास बात यह है कि विभिन्न राजघरानों की ओर से भी यहां घाटों का निर्माण करवाया गया है। इनमें ग्वालियर घाट, जोधपुर घाट, कोटा घाट, भरतपुर घाट, जयपुर घाट आदि शामिल हैं। भाद्रपद  मास  में शुक्ल पक्ष की जल - झुलनी एकादशी के दिन सभी समाज के मंदिरों से भगवान की मूर्तियों को आस्था के साथ लाया जाता है और गऊघाट पर स्नान अभिषेक किया जाता है।  पुष्करराज़ की की चमत्कारिता से प्रभावित होकर जार्ज पंचम की पत्नी क्वीन मैरी  ने  श्रद्धा की वशीभूत गऊ  घाट पर जनाना घाट बनवाया।  
महात्मा गाँधी , लाल बहादुर शास्त्री तथा इंदिरा गाँधी आदि की अस्थियों के अवशेष गऊ  घाट  पर ही विसर्जित किये गए। 
 गौरतलब है कि पुष्कर धार्मिक मेला सहित हर माह एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या अन्य धार्मिक आयोजनों पर हजारों श्रद्धालु सरोवर में स्नान करने पुष्कर आते हैं।  


🔺पुष्कर के दर्शनीय स्थल (Tourist places of Pushkar)🔺

1. ब्रह्मा मंदिर-
 ब्रह्मा मंदिर का पुनर्निर्माण १४वीं शताब्दी में हुआ।  विश्व के एकमात्र पौराणिक ब्रह्मा मंदिर को वर्तमान स्वरुप सन 1809 में सिंधिया के मंत्री गोकुलचंद ने प्रदान करवाया।  मंदिर में ब्रह्मा की आदमकद चतुर्भुज मूर्ति  प्रतिष्ठित है।  मंदिर की दीवारों पर सरस्वती के साथ मोर की सवारी करते हुए ब्रह्मा के आकर्षक भित्ति चित्र दर्शनीय हैं यहाँ फोटोग्राफी करना निषेध है।  मंदिर के कोने से एक गुफा जाती है जहाँ भगवान शिव का मंदिर है निज मंडप में चांदी के सिक्के जड़े हुए हैं  तथा मदिर के कोने में माँ दुर्गा की भी प्रतिमा स्थापित है साथ ही पशुपति नाथ का भी मंदिर है।  

पुष्कर राज , ब्रह्मा मंदिर द्वार
Brahma Temple

2 . अटमटेश्वर महादेव - 
यह चमत्कारिक शिवलिंग जमीन के अंदर, भूगर्भ में है यहाँ का वातावरण बिलकुल शांत तथा वातानुकूलित प्रतीत होता है , ब्रह्म तथा वराह मंदिर की भाँती यह भी अति पुरातन मंदिर है। कहा जाता वहाँ की शिवलिंग भूमि से स्वतः प्रकट हुई थी।   

श्री अटमटेश्वर महादेव लिंग 

3 . रंगजी मंदिर -
दक्षिणी शैली में बने इस पुरातन मंदिर में बने भगवान् श्रीकृष्ण , देवी लक्ष्मी एवं गोदम्बा की प्रधान प्रतिमाएं हैं।  यहाँ रंगनाथ जी एवं रामानुजाचार्य की प्रतिमाएं भी दर्शनीय हैं।  चैत्र मॉस के कृष्ण पक्ष में यहाँ ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। 
लेकिन पुराना मंदिर अब नाम मात्र का रह गया है  यहाँ इस मंदिर का नव निर्माण पुराने मंदिर से लगभग  २०० मीटर दूरी पर किया गया है जहाँ विष्णु भगवान की प्रतिमा को स्थापित किया गया है।  

पुराना रंगजी मंदिर
Old Rang Ji Temple 

नया रंग जी मंदिर 
New Rang ji Temple

4. रमाबैकुंड मंदिर -
यह मंदिर भी दक्षिण शैली में ही निर्मित है यह रामानुज संप्रदाय का मंदिर है।  निज मंदिर में भगवान् विष्णु , लक्ष्मी तथा गोदम्बा की प्रतिमाएं हैं।  निज-मंडप की परिक्रमा दुर्लभ चित्रकारी देखते ही बनती हैं। यहाँ स्वर्णपत्र से जुड़ा गरुण स्तम्भ दर्शनीय है।  ब्रह्ममुहूर्त एवं शांयकाल में  प्रसाद यहाँ वितरित किया जाता है जो बहुत ही स्वादिष्ट होता है। 

5.  सावित्री मंदिर -
ब्रह्मा मंदिर के पीछे स्थित पहाड़ी पर सावित्री मंदिर स्थित है जो ब्रह्मा जी की पहली पत्नी का मंदिर है सीढ़ियों की सहायता से इस मंदिर की यात्रा तय की जा सकती है वृद्ध या दिव्यांग जनों के लिए चढ़ने व उतरने के लिए  रोप-वे का भी प्रबंध है। खोपरें  के घट में मौली की बत्ती डालकर घी का दीपक प्रज्वलित किया जाता है सुहागिने अपने सुहाग की अमरता की कामना की वशीभूत होकर यहाँ श्रद्धावश पूजा इत्यादि करती हैं।  मंदिर से पुष्कर झील तथा रेगिस्तान का विहंगम नजारा देखा जा सकता है।  

सावित्री देवी मंदिर से पुष्कर का दृश्य 
View of Pushkar from Savitri Devi temple


6. विष्णु वराह मंदिर -
यह पुष्कर का प्राचीन मंदिर है जहाँ भगवान् वराह का स्वयं प्रकट विग्रह है दसवीं शताब्दी में राजा रूदादित्य ब्राह्मण ने इस मंदिर का निर्माण  करवाया था।  मंदिर को वर्तमान स्वरुप 13 वीं  शताब्दी में चौहान राजा अरणोराज  ने प्रदान करवाया था।  इस मंदिर ने कई बार एवं आक्रमण झेला।  मंदिर को किलेनुमा स्वरुप महाराणा प्रताप के भाई शक्तिसिंह ने प्रदान करवाया। मुग़ल शासक औरंगजेब ने भी इस मंदिर को नष्ट करने का पूर्ण प्रयास किया था।  

पुराना विष्णु वराह मंदिर 
Old Vishnu Varah Temple


7. गुरुद्वारा :-
श्री गुरु नानक श्री लंका व दक्षिण की उदासी से वापस आते वक़्त अजमेर पुष्कर की धरती पर 1511 ई. में चरण रखे थे तत्पश्चात वो मारवाड़ के बीच होते हुए अजमेर पहुंचे यहाँ पर गुरुनानक देव जी मुश्लिम पीर चिश्ती साहिब के शिष्य अलाउद्दीन व सग्रसुदीन से ज्ञान गोस्ट किया और वहां से नानक जी उसी वर्ष पुष्कर नगरी में उनकी बड़े - बड़े ऋषि - मुनियों से ज्ञान गोस्ट हुआ और सत्य का उपदेश दिया। 


गुरुद्वारा , पुष्कर 

8 . कैमल सफारी :-
ब्रह्मा मंदिर के पीछे कुछ दूरी पर मेला मैदान है साथ ही रेगिस्तान भी जहाँ ऊँट की सवारी का आनंद लिया जा सकता है पुष्कर मेला के दौरान यहाँ विराट कैमल सफारी का आयोजन होता है। 


Camel safari in background 

पुष्कर रेगिस्तान , सफारी 
8. पुष्कर मेला :-

पुष्करराज में प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर एक अंतर्राष्ट्रीय मेले का आयोजन होता है जो करीब सात दिनों तक चलता है जिसमे देश - विदेश के लोग यहाँ मनोरंजन व श्रीरंग जी के दर्शन के लिए आते हैं।  कला संस्कृति व पर्यटन विभाग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं तथा विशाल पशु मेला का आयोजन होता है जिसमें श्रेष्ठ नसल के पशु को पुरस्कृत किया जाता हैं सबसे ज्यादा वहां आकर्षण का केंद्र ऊँट होते हैं और न - न प्रकार के झूलों का आयोजन होता है। 

पुष्कर मेला 2018 


झूले , पुष्कर मेला 

Hopper balloon

Camel Fair

9 . पुष्कर बाजार :-
पुष्कर बाजार की अपनी एक अलग विशेषता है जहाँ पर राजस्थान की संस्कृति अलग से  झलकती है यहाँ राजस्थानी लिबास, लहँगी , कुर्ता , जूती,  इत्र, पूजा का सामान , हाथ से बने थैले , चमड़े का सामान जैसे बैग , बेल्ट, जूते आदि सब मिलता है और इस बाजार में मेरी मन पसंद कॉटन की बनी  हुई डायरियाँ आदि का क्रय होता है जो चिन्ह स्वरुप देश - विदेश के पर्यटक कुछ न कुछ जरूर ले जाते हैं जो राजस्थानी  संस्कृति की अपनी उपलब्धि है। तलवारों और कटारों का राजस्थानी संस्कृति में अलग ही महत्व है उनका भी क्रय यहाँ बड़ी शौक से किया जाता है जिनका उपयोग शादी , मंदिरों में भेंट चढ़ाने और घरों की सजावट के लिए किया जाता है। 

चमड़े से बने बैग 
कॉटन से बनी डायरियाँ 

घर सजाने का सामान 

तलवारें व कटारें 

राजस्थानी संस्कृति 


माल पुआ - यदि आप पुष्कर आये और माल पुआ न खाया तो मुझे लगता है आपकी ट्रिप अधूरी रह जाएगी , पुष्कर अपने माल पुए के लिए विश्वविख्यात है अगर आप पुष्कर आएं तो माल पुए अवश्य खाएं।

माल पुआ

धन्यवाद 
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- नूतन पथ 
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1 comment:

  1. पुष्कर में पांच प्रमुख मंदिर हैं, अपेक्षाकृत हाल के निर्माण के बाद से पूर्व की इमारतों को 17th सदी के अंत में मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा नष्ट कर दिया गया था। घाटों के रूप में जाने वाले कई स्नानागार, झील के चारों ओर और तीर्थयात्रियों ने शरीर और आत्मा दोनों की सफाई के लिए पवित्र जल में डुबकी लगाई।

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