शायद इस भाई से कुछ भूल हो गई जो वो मेरी लाडली बहना इतनी तेज रूठ गई , मेरी एक बहन न होने एहसास बार - बार खलता था इतनी उम्र बीत गई फिर भी मुझे नहीं पता कि एक बहन के उसूल क्या होते हैं वो क्यों रूठ जाती है अगर आज शायद अनजाने में भूल हो गई हो तो हम दोनों को माफ कर दो मेरी बहना, अगर आपका दिल दुखाया हो तो माफी चाहता हूं आगे से कभी दुखी नहीं करूंगा हम कान पकड़कर आपसे माफ़ी चाहते हैं।
क्या हुआ था इस जग में
जो मैं एक साथी बहन न पाया
बीत समय देखी लीला उस रब की
आज एक स्वर्ण दिल की कन्या को अपना बहन बनाया
अनजान रहा मैं अब तक सारी जिंदगी
जिस बहन का आज एक परिवेश बनाया
अज्ञानी था मैं अबतक उसकी खातिरदारी का
करूं तो अब मैं करूं क्या?
अब तक उसका एक सूक्ष्म साथ पाया
अाई वो मेरी जिंदगी में
एक खुशियों का दीपक लेकर
न जाने मैंने किस अनजाने झोक से
उसका वो सुंदर दीप बुझाया
रूठ गई वो तितली की तरह
जिसको मेरा उपवन न सुझाया
क्या करूं ? शर्मिंदा हूं अपने ऊपर
जो एक रूठी बहन को मना न पाया
क्या मेरी लाडली बहना भी इस तरह रूठ जाएगी?
जो इस भाई के दिल को हर पल रुलाएगी
याद रखना ये नटखट प्यारी
तुम हो अनमोल बहन हमारी
एक दिन तुमको भी पराए घर जाना है
माना कि शायद डोली में नहीं बिठा सकता
लेकिन तुम ही इकलौती मेरी बहना हो।
-आपका भाई(mkSharma)
Doli hoga na ki dholi
ReplyDeleteThanks wo keyboard auto correction problm se glt typ ho gya।।।
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