हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Friday, 27 October 2017

पूरब का चांद


देख तेरे गुलज़ार में आगोश का पैगाम आया है
अब गुफ्तगू करले उन गुलबदन नयनों से
पता है अब तेरे दिल में हैरानियत का साया है
लेकिन घबराने की कोई ज़रूरत नहीं 
जो सिर्फ तेरा अपना है वही तेरे पास आया है
हासिया नहीं होगा मेरे सफर-ए-इश्क़ का
तेरी अदा ही मेरी शोभना है
अब तो मेरी दिल-धरा पर पूरब का चांद उतर आया है।

No comments:

Post a Comment

Being a human

 इस मृत्युलोक में मानव का सबसे विराट वहम यह है कि वह जो देख रहा उन सब चीजों का मालिक बनना चाहता है और वो भी सदा के लिए। मन में एक लालसा बनी ...