जिंदगी के कुछ पल , पल - पल रुलाते हैं
नहीं पता था ये बचपन भी
अतिशीघ्र शिखर पर पहुंच जाएगा,
सघन हो जाएगी ये जिन्दगी तब ये लघु विहार बहुत याद आएगा
खोलता हूं जब पोटरी
यूं अकेला बैठकर
मेघ बरसने लगते हैं
वो नयन से धरातल तक
अतिशीघ्र शिखर पर पहुंच जाएगा,
सघन हो जाएगी ये जिन्दगी तब ये लघु विहार बहुत याद आएगा
खोलता हूं जब पोटरी
यूं अकेला बैठकर
मेघ बरसने लगते हैं
वो नयन से धरातल तक
चुभ रहीं हैं वो स्मृतियां
जम गए है वो एक - दो पल
ह्रदय भी विक्षत बैठ गया
अब आज हो ना कल
मेघ धाराएं विभक्त हो गईं
उन दिव्य विषादों के नीचे
मयंक! इस यथार्थ भव में मौत से बढ़कर कुछ नहीं
तभी लगते हैं सब फीके - फीके
-Mksharma
जम गए है वो एक - दो पल
ह्रदय भी विक्षत बैठ गया
अब आज हो ना कल
मेघ धाराएं विभक्त हो गईं
उन दिव्य विषादों के नीचे
मयंक! इस यथार्थ भव में मौत से बढ़कर कुछ नहीं
तभी लगते हैं सब फीके - फीके
-Mksharma
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