हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Wednesday, 28 February 2018

शायरी

मेरा एक दोस्त की उदासी:-

आंधियों से टूटा है पत्ता वो कहीं तो गिरेगा
सालों से मुरझाया है तेरा खूबसूरत चेहरा वो कभी तो खिलेगा
तू बस अपनी मोहब्बत को अधूरा मत समझना ये मेरे दोस्त
अगर पहला प्यार बिछड़ा है तो कोई दूसरा तो मिलेगा


मेरे दोस्त का इजहार:-

वो इतवार ही क्या जिसमें ऑफिस का पीछा न छूटे
वो दाम्पत्य ही क्या जिसमें झगड़ा ही हांडी न फूटे
अगर इश्क़ है तो इश्क़ का इजहार भी करो मगर बचकर
क्यूंकि वो इज़हार ही क्या जिसमें आपकी बत्तीसी न टूटे






Saturday, 24 February 2018

नशा

मेरे अनुसार इस दुनियां का प्रत्येक व्यक्ति नशे में चूर है.. सब के सब नशा करते हैं  आप भी और मैं भी तो चलिए पता करते हैं कि आप किस category ke नशेड़ी हैं:-😁😁



किसी को इबादत का नशा, किसी को चारपाई का नशा
तो किसी को नशा शोहरत का, तो किसी को लड़ाई का

किसी को सोने का नशा, किसी को पढ़ाई का नशा
तो किसी को नशा इश्क़ का, तो किसी को रजाई का

किसी को मोबाइल का नशा, किसी को गाने का नशा
तो किसी को नशा फाइल का, तो किसी को टोपी पिरहाने का

किसी को झूमने का नशा, किसी को घूमने का नशा
तो किसी को नशा रूठने का, तो किसी को मनाने का

किसी को गद्दी का नशा, किसी को चवनप्रास का नशा
तो किसी को नशा लक्ष्मी का, तो किसी को उपहास का

किसी को कलम का नशा, किसी को मशीनों का
तो किसी को नशा परिश्रावक का, तो किसी को सफीनों का

किसी को वॉट्सएप का नशा, किसी को लॉलीपॉप का
तो किसी को नशा चाय का,तो किसी को समोसे और सॉस का

किसी को लाली का नशा, किसी को सूट और पैजामे का
तो किसी को नशा मैगी का, तो किसी को मयखाने का

किसी को फुटबाल का नशा, किसी को बंदूक की गोली का
तो किसी को नशा सिनेमा का, तो किसी को चुगलखोरी का

किसी को अंगूर की बेटी का नशा, किसी को कमाई का
तो किसी को नशा तंदूर की रोटी का, तो किसी को सगाई का

किसी को ऊंचे बंगले का नशा, किसी को मॉडल कार का
तो कि को नशा काले धन का, तो किसी को अंधी सरकार का
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 अगर आपको अपनी category मिल गई हो तो comment करके जरूर सूचित करियेगा...😁😁
अगर आपको मेरी रचना पसंद आयी हो तो like, follow and share करना मत भूलियेगा
   🙏धन्यवाद🙏

Friday, 23 February 2018

एक माफी

 मेरे दुनियां में होते हुए मेरी ही दुनियां से भूल हो गई वो भी बिल्कुल अनजाने में जो मैंने आजतक सोचा नहीं वही भूल कर दी कैसे??  मुझसे अभागा और न समझ और कौन हो सकता है?? 😫😥
 शायद वो मुझे कभी माफ नहीं करेगी 😫😫


हो गई अनजाने में एक भूल
माफ कर देना इस नादान को
मैं इस दुनिया को छोड़ने को तैयार हूं
बस कम न करना मेरे सम्मान को


अपनी बेबसी का आलम तुम्हें क्या बतलाऊं मैं
बस तुम्हारे सीने से लिपटकर रोता जाऊं मैं
भीगा दूं तुम्हें अपने आंसुओं से
फिर भी शायद एक अभागा प्रेमी कहलाऊं मैं


मुझे पता है तुमने दिल से माफ नहीं किया है
मेरी भूल को दिल से साफ़ नहीं किया है
इसमें उनका कोई कसूर नहीं है
शायद मैंने ही कसूरी का प्याला दिल से सौगात नहीं किया है






Saturday, 17 February 2018

4 lines

नहीं कहता मैं उससे कि साथ निभाओ
नहीं कहता मैं उससे कि मेरी बाहों में आओ
होगा अगर थोड़ा सा प्यार उसे भी मेरे लिए
वो आयेगी और मुझमें घुल जाएगी
फिर भी नहीं कहता कि अगर मैं समंदर 
तो तुम उसकी बूंद बन जाओ

करने दो अनदेखा उनको इन सुनहरी सुर्खियों को
जिसके लिए मैंने इश्क़ की दरिया कुरेद दी
भूल गए वो शायद प्रीति की बरसात करने को
तभी उस दरिया में सूखी रेत ही रेत थी
    - mk diary


Friday, 16 February 2018

A view of indian education system

     


प्राचीन काल से ही भारतवर्ष ज्ञान और प्रतिष्ठा की तपो भूमि रही है पहले के समय में हमारा ज्ञान , विज्ञान तथा शिक्षण प्रणाली दोनों ही न-न  प्रकार की खोजों , विद्याओं तथा अविष्कारों  पर आश्रित थे हम न जाने ऐसे कितने अविष्कार और खोजें  कर चुके थे जिनका अगर आज हम उनका पुनर्गठन करना चाहें तो वह शायद बहुत  ही मुश्किल होगा।
समय अनवरत चलता गया  हमारा समाज ,संस्कृति और सभ्यता के अनुसार शिक्षण प्राणाली  का  भी स्वरुप बदल गया। 
अगर हम वर्तमान समय की चर्चा करें तो भारतीय शिक्षा प्रणाली का रुख बिलकुल प्राचीन प्रणाली  से अधिमुख हो गया है 
आज़ादी के बाद से भारतवर्ष में अविष्कार नाम ही विलुप्त होता जा रहा है आज़ादी के उपरांत से  हमारा जीवन सिर्फ पैसा और शाषन ही रह गया है इसीलिए भारतवर्ष में इतने दिनों से कोई नई खोज नहीं हुई 
वर्तमान में विद्यालओं , महा-विद्यालओं तथा सस्थाओं में कुछ नया सोचना या फिर करना नहीं सिखाया जाता बल्कि उसके  अच्छे अंक प्राप्त करना , अच्छे अंक प्राप्त करने समाज में सर ऊँचा करना तथा दूसरों को अच्छे अंक प्राप्त करके मात देना आदि कुछ पहलु रह गए हैं। 
परीक्षा प्राणाली  भी उसी रूप में ढलती जा रही है उसमें ज्ञान के अंक नहीं बल्कि शब्दों की अधिकता का मूल्यांकन होता है उत्तर की विकरालता का मूल्यांकन होता है न की उत्तर की शुद्धता और गहराई का। 




अगर यही आधार है इस वर्तमान प्रणाली का ? तो यह ज्ञान का नहीं अपितु बौद्धिक शक्ति का परीक्षण करती है 
 किसी  भी विषयवस्तु का अध्ययन - अध्यापन का  कार्य होता है तो उसका पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है न कि  उस विषय वस्तु की गहराइयों में ले जाया जाता है और उसी के अनुसार परीक्षा होती है अगर कुछ विद्यार्थिओं का मन जिज्ञासु होता भी है तो उसका निखार भी नहीं हो पता। 
हमारे पास एक निश्चित पाठ्यक्रम होता है और उसपर आधारित विषयवस्तु जिसको याद करके हम परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सकते हैं लेकिन यदि किसी प्रश्न को वैज्ञानिक ढंग से पूछा जाये तो वह प्रश्न और उसका उत्तर भी अति प्रभावशाली होगा और उसी के अनुसार अंक दिए जाएँ। .... जैसे -

प्रश्न - इस भ्रह्माण्ड का क्या अस्तित्व है तथा इसकी उत्त्पत्ति के क्या रहस्य हो सकते हैं ?
Question - What is the existence of this universe and what can be the secret of its origin?

अगर इस प्रश्न का मूल्यांकन तथा उस विद्यार्थी का मूल्यांकन इस प्रकार किया जाये जो इसका उत्तर स्वयं खोज के सबसे उत्तम उत्तर देगा वही सर्वश्रेष्ठ होगा न वो विद्यार्थी जिसने सिर्फ अपना पाठ्यक्रम पढ़कर सबसे दीर्घ उत्तर दिया है। 
अगर ऐसा होता है तो यह  ज्ञान का मूल्यांकन नहीं अपितु बौद्धिक परीक्षण मात्र ही है। इसमें तीव्र स्मरण शक्ति वाला विद्यार्थी ज्ञान को अँधेरी कोठरी में डाल सकता है और वो विद्यार्थी जो वास्तव में कुछ नया करना चाहता है वो समाज तथा ऐसी प्रणाली  की चपेट में आकर गिर भी  सकता है। 

NOTE- मेरा उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ  अपने ब्लॉग के माध्यम से अपनी राय  साझा करना है......... 

आपकी क्या राय है ??????

Sunday, 11 February 2018

Motivational lines


उठ, देख एक नई सुबह
जिन्दगी की एक नई कला
कोई तुझे पुकार रहा
कोई तुझे निहार रहा
पहचान अपने आपको
कोई तुझे ललकार रहा

शांत है वातावरण 
इसको तू सुख न समझ
एक नई कामयाबी खड़ी सामने
जुनून भी हो सूरज सा प्रखर
उठा शास्त्र निकल रण में
नव अवसर तुझे पुकार रहा
                     -mksharma

Saturday, 3 February 2018

मेरी प्यारी बहना

शायद इस भाई से कुछ भूल हो गई जो वो मेरी लाडली बहना इतनी तेज रूठ गई , मेरी एक बहन न होने एहसास बार - बार खलता था इतनी उम्र बीत गई फिर भी मुझे नहीं पता कि एक बहन के उसूल क्या होते हैं वो क्यों रूठ जाती है अगर आज शायद अनजाने में भूल हो गई हो तो हम दोनों को माफ कर दो मेरी बहना, अगर आपका दिल दुखाया हो तो माफी चाहता हूं आगे से कभी दुखी नहीं करूंगा हम कान पकड़कर आपसे माफ़ी चाहते हैं।


क्या हुआ था इस जग में
जो मैं एक साथी बहन न पाया
बीत समय देखी लीला उस रब की
आज एक स्वर्ण दिल की कन्या को अपना बहन बनाया
अनजान रहा मैं अब तक सारी जिंदगी
जिस बहन का आज एक परिवेश बनाया
अज्ञानी था मैं अबतक उसकी खातिरदारी का
करूं तो अब मैं करूं क्या?
अब तक उसका एक सूक्ष्म साथ पाया
अाई वो मेरी जिंदगी में
एक खुशियों का दीपक लेकर
न जाने मैंने किस अनजाने झोक से
उसका वो सुंदर दीप बुझाया
रूठ गई वो तितली की तरह
जिसको मेरा उपवन न सुझाया
क्या करूं ? शर्मिंदा हूं अपने ऊपर
जो एक रूठी बहन को मना न पाया
क्या मेरी लाडली बहना भी इस तरह रूठ जाएगी?
जो इस भाई के दिल को हर पल रुलाएगी
याद रखना ये नटखट प्यारी
तुम हो अनमोल बहन हमारी
एक दिन तुमको भी पराए घर जाना है
माना कि शायद डोली में नहीं बिठा सकता
लेकिन तुम ही इकलौती मेरी बहना हो।
   
             -आपका भाई(mkSharma)

Thursday, 1 February 2018

प्रभात कालीन बेला

आज कई दिनों बाद उगता सूरज देखकर पता नहीं क्यों ऐसा लगा कि उस दृश्य से सुंदर और कोई दृश्य नहीं हो सकता
लगभग 5 महीने बाद मैं उगने हुए सूरज को देख रहा था शायद ये आज का दिन मेरे लिए एक दिव्य दिवस होना चाहिए। शायद मैंने आज साक्षात ईश्वर के दर्शन किए मैं धन्य हो गया।




कौन कहता है
मोती सिर्फ़ समंदर की कोख में होते हैं
कौन कहता है 
हीरे से ज्यादा कुछ चमकदार कोई  नहीं होते
आंखे खोलकर देखो
तो सच जान जाओगे
जो आजतक नहीं माना
वो सच भी मान जाओगे
क्या - क्या राज छिपे हैं
इस मासूम जहां में
खोता रहा को मोती
नींद के आंचल में खोकर
वही अद्विक मोती आज सुबह
नजर आया उगते सूरज की पनाह में

    -mksharma

Being a human

 इस मृत्युलोक में मानव का सबसे विराट वहम यह है कि वह जो देख रहा उन सब चीजों का मालिक बनना चाहता है और वो भी सदा के लिए। मन में एक लालसा बनी ...