हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Saturday, 17 February 2018

4 lines

नहीं कहता मैं उससे कि साथ निभाओ
नहीं कहता मैं उससे कि मेरी बाहों में आओ
होगा अगर थोड़ा सा प्यार उसे भी मेरे लिए
वो आयेगी और मुझमें घुल जाएगी
फिर भी नहीं कहता कि अगर मैं समंदर 
तो तुम उसकी बूंद बन जाओ

करने दो अनदेखा उनको इन सुनहरी सुर्खियों को
जिसके लिए मैंने इश्क़ की दरिया कुरेद दी
भूल गए वो शायद प्रीति की बरसात करने को
तभी उस दरिया में सूखी रेत ही रेत थी
    - mk diary


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