नहीं कहता मैं उससे कि साथ निभाओ
नहीं कहता मैं उससे कि मेरी बाहों में आओ
होगा अगर थोड़ा सा प्यार उसे भी मेरे लिए
वो आयेगी और मुझमें घुल जाएगी
फिर भी नहीं कहता कि अगर मैं समंदर
तो तुम उसकी बूंद बन जाओ
करने दो अनदेखा उनको इन सुनहरी सुर्खियों को
जिसके लिए मैंने इश्क़ की दरिया कुरेद दी
भूल गए वो शायद प्रीति की बरसात करने को
तभी उस दरिया में सूखी रेत ही रेत थी
- mk diary
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