समय अनवरत चलता गया हमारा समाज ,संस्कृति और सभ्यता के अनुसार शिक्षण प्राणाली का भी स्वरुप बदल गया।
अगर हम वर्तमान समय की चर्चा करें तो भारतीय शिक्षा प्रणाली का रुख बिलकुल प्राचीन प्रणाली से अधिमुख हो गया है
आज़ादी के बाद से भारतवर्ष में अविष्कार नाम ही विलुप्त होता जा रहा है आज़ादी के उपरांत से हमारा जीवन सिर्फ पैसा और शाषन ही रह गया है इसीलिए भारतवर्ष में इतने दिनों से कोई नई खोज नहीं हुई
वर्तमान में विद्यालओं , महा-विद्यालओं तथा सस्थाओं में कुछ नया सोचना या फिर करना नहीं सिखाया जाता बल्कि उसके अच्छे अंक प्राप्त करना , अच्छे अंक प्राप्त करने समाज में सर ऊँचा करना तथा दूसरों को अच्छे अंक प्राप्त करके मात देना आदि कुछ पहलु रह गए हैं।
परीक्षा प्राणाली भी उसी रूप में ढलती जा रही है उसमें ज्ञान के अंक नहीं बल्कि शब्दों की अधिकता का मूल्यांकन होता है उत्तर की विकरालता का मूल्यांकन होता है न की उत्तर की शुद्धता और गहराई का।
अगर यही आधार है इस वर्तमान प्रणाली का ? तो यह ज्ञान का नहीं अपितु बौद्धिक शक्ति का परीक्षण करती है
किसी भी विषयवस्तु का अध्ययन - अध्यापन का कार्य होता है तो उसका पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है न कि उस विषय वस्तु की गहराइयों में ले जाया जाता है और उसी के अनुसार परीक्षा होती है अगर कुछ विद्यार्थिओं का मन जिज्ञासु होता भी है तो उसका निखार भी नहीं हो पता।
हमारे पास एक निश्चित पाठ्यक्रम होता है और उसपर आधारित विषयवस्तु जिसको याद करके हम परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सकते हैं लेकिन यदि किसी प्रश्न को वैज्ञानिक ढंग से पूछा जाये तो वह प्रश्न और उसका उत्तर भी अति प्रभावशाली होगा और उसी के अनुसार अंक दिए जाएँ। .... जैसे -
प्रश्न - इस भ्रह्माण्ड का क्या अस्तित्व है तथा इसकी उत्त्पत्ति के क्या रहस्य हो सकते हैं ?
Question - What is the existence of this universe and what can be the secret of its origin?
अगर इस प्रश्न का मूल्यांकन तथा उस विद्यार्थी का मूल्यांकन इस प्रकार किया जाये जो इसका उत्तर स्वयं खोज के सबसे उत्तम उत्तर देगा वही सर्वश्रेष्ठ होगा न वो विद्यार्थी जिसने सिर्फ अपना पाठ्यक्रम पढ़कर सबसे दीर्घ उत्तर दिया है।
अगर ऐसा होता है तो यह ज्ञान का मूल्यांकन नहीं अपितु बौद्धिक परीक्षण मात्र ही है। इसमें तीव्र स्मरण शक्ति वाला विद्यार्थी ज्ञान को अँधेरी कोठरी में डाल सकता है और वो विद्यार्थी जो वास्तव में कुछ नया करना चाहता है वो समाज तथा ऐसी प्रणाली की चपेट में आकर गिर भी सकता है।
NOTE- मेरा उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अपने ब्लॉग के माध्यम से अपनी राय साझा करना है.........
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