श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रस्तुत स्वरचित रचना में " कृष्णा " जोकि इस श्रष्टि का महाज्ञानी , पालनकर्ता तथा एक महागुरु का स्वरुप हैं के व्यक्तित्व को गढ़ने का प्रयास किया गया है उनके जीवन काल व उनके चरित्र के बारे में जितना कुछ कहा जाये तो वो सिर्फ एक सागर में एक बूँद के सामान होगा , एक ऐसा शख्स जो सम्पूर्ण गीता का ज्ञान अपनी जिव्ह्या पर रखे तो उसके बारे में सम्पूर्णता नही लिखा जा सकता जो स्वयं में एक परमेश्वर का रूप हो उसके लिए सिर्फ हम अपना सबसे अच्छा लिखने का प्रयास ही कर सकते हैं
तुम हो अलफ़ाज़ मेरे
तुम हो आगाज़ मेरे
तुम हो यार मेरे
तुम हो दिलदार मेरे
तुम हो वजूद मेरे
तुम हो महबूब मेरे
तुम हो अफसाना मेरे
तुम हो पैमाना मेरे
मेरा विश्वास भी तुम
मेरी हर श्वांस भी तुम
राधा का प्यार तुम
मीरा का इंतज़ार तुम
महाभारत के कर्णधार तुम
मानवता की बहार तुम
गीता का महाज्ञान तुम
हम सबका महाकन्यान तुम
- नूतन पथ
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Beautiful
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