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Monday, 3 September 2018

गुरु

➤गुरु और शिष्य की परंपरा भारतीय संस्कृति का अहम् हिस्सा है यह परंपरा सदियों से चली आ रही है कहा जाता है की पहला गुरु माता-पिता ही होते हैं लेकिन माता - पिता जन्म तो दे देते  है लेकिन जीवन जीने का सलीका शिक्षक के बगैर नही मिल सकता क्यूंकि वो एक सफल मार्गदर्शक , नेत्रत्वकर्ता , विचारक और निर्णायक होता है एक सफल समाज के निर्माण में शिक्षक का ही हाथ होता है आज जो भी व्यक्ति वर्तमान में  जहाँ पर है वो किसी न किसी शिक्षक की देन है अगर भारतीय इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाये तो जब भी कोई समाज में नया परिवर्तन हुआ है या फिर कोई नए तंत्र की नींव रखी गयी है तो उसमे एक कुशल शिक्षक का हाथ रहा है

➧" महाभारत " स्वयं में एक विशाल जाना-माना उदहारण है जिसका नेत्रत्व 'धर्म की अधर्म पर विजय ' के लिए स्वयं गुरुओं ने किया

वेदों में गुरु को ही सर्वोच्च ब्रह्म का स्थान दिया गया है :-
"गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।
गुरू साक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः॥"]

Guru is Brahma, Guru is Vishnu,
Guru is Maheshwara (Shiva),
Guru is Supreme Brahman Itself
Prostration unto that Guru


 ➽ अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरू' कहा जाता है-

 "अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया,चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः' 
आज की इस रचना में मैं  गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए अपने सभी गुरुजनों को  सादर प्रणाम करता हूँ .



ज्ञान का भण्डार है 
स्नेह का आधार है 
इंसान को इंसान बना दे 
उसकी महिमा अपरम्पार है 
मिटाता अज्ञानता का अंधकार 
बन जाता संकट का यार 
होता है आशीष पतवार उसका 
हो जाती जीवन नैय्या पार 

समानता है जिसका धर्म 
है ईश्वर का इकलौता मर्म 
है सत् पथ का सन्यासी 
उसकी छाँव में मथुरा - काशी 
दिव्य यथार्थ का ज्ञान कराये 
तूफानों में जीना सिखलाये 
मानवता का वह धर्मी 
सफल राष्ट्र की रीढ़ कहलाये 

एक पथ प्रदर्शक
भविष्य का दर्शक 
आज में जीना सिखलाये 
ज्ञान की परिभाषा भी अब 
बुद्ध , विवेक और कलाम कहलाये 
सीखे हैं जिनसे आदर्श 
कर सकूँ जीवन में संघर्ष
इस छोटी सी लेखनी से 
उनका वर्चश्व सुनाता हूँ 
उन कृतार्थ गुरुओं के आगे 
अपना शीष झुकाता हूँ 
मैं उनकी महिमा गाता हूँ 
    
                      
                                                    - NUTAN PATH


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:THANK YOU:



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