इस कविता के माध्यम से समय की क्रियाशीलता व उसके प्रभाव पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। समय के महत्व तथा उसके मूल्य को जानना अत्यंत आवश्यक है।
समय निकालकर कभी
बातें करो समय से
आहें सुनाई देंगी
बर्बाद हुए समय की
तोड़ा है जो दिल तुमने
जिस अनमोल समय का
तोड़ देगा समय तुमको
जब उसका समय होगा
क्यों ललकारते हो उसकी समां को?
राम भी झुके , घनश्याम भी झुके
इस समय की समां के आगे
इसके रहते हुए
तुमसा धनवान कोई नहीं
अगर की गद्दारी इससे
तो इसके जैसा बेईमान कोई नहीं
लूट लेगा , मिटा देगा
घुटनों के बल कर धूल चटा देगा
समय रहते उसे पहचान लो
कायम रखो उससे दोस्ती
जो तुमसे बलवान हो
संग चलो उमंग से
कार्यशील बनो तुरंग से
जीत जाओगे उसको भी
बस दूर न जाना जंग से
- नूतन पथ का बंजारा