हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Friday, 20 July 2018

समय

इस कविता के माध्यम से समय की क्रियाशीलता व उसके प्रभाव पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। समय के महत्व तथा उसके मूल्य को जानना अत्यंत आवश्यक है।


समय निकालकर कभी
बातें करो समय से
आहें सुनाई देंगी
बर्बाद हुए समय की
तोड़ा है जो दिल तुमने
जिस अनमोल समय का
तोड़ देगा समय तुमको
जब उसका समय होगा
क्यों ललकारते हो उसकी समां को?
राम भी झुके , घनश्याम भी झुके
इस समय की समां के आगे
इसके रहते हुए
तुमसा धनवान कोई नहीं
अगर की गद्दारी इससे
तो इसके जैसा बेईमान कोई नहीं
लूट लेगा , मिटा देगा
घुटनों के बल कर धूल चटा देगा
समय रहते उसे पहचान लो
कायम रखो उससे दोस्ती
जो तुमसे बलवान हो
संग चलो उमंग से
कार्यशील बनो तुरंग से
जीत जाओगे उसको भी
बस दूर न जाना जंग से

- नूतन पथ का बंजारा

-------------------------Thank you--------------------------
#nutan_path_ka_banjara

Thursday, 19 July 2018

जीवन गान

एक और कदम हिंदी साहित्य की ओर -

इस कविता में ईश्वर और हमारे बीच के दैनिक संबंध को दर्शाने का प्रयास किया गया है प्रथम चार पंक्तियां ईश्वर को समर्पित , द्वितीय चार पंक्तियां ईश्वर द्वारा श्रृष्टि के निर्माण में प्रकाश डाला गया है उसके उपरांत की चार पंक्तियां हमारे जीवन को तथा अंत की चार पंक्तियों में ईश्वर से उज्ज्वल भविष्य व सफल जीवन की प्रार्थना की गई है।

विशेष :- इस कविता में मैंने अधिकतर अपने सहपाठियों के नामों का उपयोग करके अपनी रचना को सफल बनाने का प्रयास किया है।



सफल अनुराग के
विपुल धरणीधर
पाकर आशीष तुम्हारा
पुलकित हो जाता तृण-तृण

मुदित-मन से रचा हुआ
यह छविमय संसार है
रिद्धि , सिद्धि और कल्पनाओं का
अनुमोदित विशाल भंडार है

प्रशांतमय वातावरण में जब
प्राचिकोटी में उगा प्रभाकर
अंकुरित हुईं अनंत आशाएं
सत् धारी बन नव जीवन पथ पर

अछूता रहे तिमिर राह से
प्रभा - ज्ञान का संवहन हो
एक ही अभिलाषा है, हे! करुणानिधि
इस जीवन का एक सफल मंचन हो

- नूतन पथ का बंजारा



-: Thank you :-

Wednesday, 18 July 2018

सुलोचना

दोस्तों!
आप सभी के जीवनकाल में कुछ न कुछ इच्छाएं ज़रूर होती है जिन्हें आप जीते जी पूरी होते देखना चाहते हैं कोई अपने कैरियर के बारे में सोचता है कोई ईश्वर का दर्शनाभिलाषी होता है तो कोई कुशलता पूर्वक समाज की सेवा करना चाहता है और हर किसी के जीवन में कुछ न कुछ या तो वो घटना होती है, या कोई वस्तु , व्यक्ति या ईश्वर जरूर होता है जिसका साथ वह हमेशा चाहता है चाहे वो सिद्धि या फिर शारीरिक बल है क्यों न हो। इस कविता का भी कुछ ऐसा ही मकसद है।



हे! सुलोचना तुम मुझसे दूर न जाना
तुमसे ही मैंने हमको पहचाना
हे! सुलोचना तुम मुझसे दूर न जाना

तुम गुल हो मेरे उर गुलशन के
महके हैं मेरे पथ मलयज वन से
तुम बिन रुदन करता ये रूप सुहाना
हे! सुलोचना तुम मुझसे दूर न जाना

औषधियां हैं तुम्हारी कंचन वानी
ईश्वर प्रदत्त एक रूप की रानी
सीखा तुमसे फूले गालों को रिझाना
हे! सुलोचना तुम मुझसे दूर न जाना

उड़ती तितली तुम नील गगन की
बहती बयार तुम वृंदावन की
मुझसे ज्यादा तुमने मुझको है जाना
हे! सुलोचना तुम मुझसे दूर न जाना

रगों - रगों में बहता प्यार तुम्हारा
चंद्रमुखी - सी चांदनी, हो सब संसार हमारा
हो चुका तुम्हारी अलबेले आलिंगन का दीवाना
हे! सुलोचना तुम मुझसे अब दूर न जाना

तुमसे ही मैंने हमको पहचाना
हे! सुलोचना मुझसे दूर न जाना
    
- नूतन पथ का बंजारा



इस ब्लॉग को अपना बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत - बहुत धन्यवाद.....

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Being a human

 इस मृत्युलोक में मानव का सबसे विराट वहम यह है कि वह जो देख रहा उन सब चीजों का मालिक बनना चाहता है और वो भी सदा के लिए। मन में एक लालसा बनी ...