जय हिंद
दिल है दोस्तों के लिए
जान है इस वतन के लिए
हम तो फूल खिलाएंगे
इस प्यारे चमन के लिए
कोई डरता है अंधेरों से
तो कोई आतंकी झोकों से डरे
इस जमीं को आँख क्या दिखायेगा तू
सिकंदर जैसे भी पीठ दिखा भगे
सोची भी हो गर शेर से खेलने की
संभल जा वो अभी योग कर रहा है
बिगड़ी तनिक भी मुद्रा उसकी
उखाड़ फेकेगा तुझे इस जहाँ से परे..
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