हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Tuesday, 28 November 2017

आतंकवाद मुर्दाबाद



जय हिंद

           दिल है दोस्तों के लिए
         जान है इस वतन के लिए
          हम तो फूल खिलाएंगे
          इस प्यारे चमन के लिए
          कोई डरता है अंधेरों से
       तो कोई आतंकी झोकों से डरे
    इस जमीं को आँख क्या दिखायेगा तू
      सिकंदर जैसे भी पीठ दिखा  भगे 
     सोची भी हो गर शेर से खेलने की
    संभल जा वो अभी योग कर रहा है
       बिगड़ी तनिक भी मुद्रा उसकी
     उखाड़ फेकेगा तुझे इस जहाँ से परे..

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