अपने ही क्यों सदा के लिए सो गए?
क्या कसूर था मेरा इस जनम या उस जनम का?
वो कुदरती हाथ भी धीरे-धीरे न जाने कहाँ खो गए?
कहाँ ढूँढूं, कहाँ तलाश करूँ, कहाँ फ़रियाद करूँ?
अब आ भी जा अब तुझे कितना और याद करूँ?
वादा किया था जिंदगी साथ बिताने का
साथ जीने का और साथ मारने का
फिर क्यूँ तूने मुझे धोखा दिया,
सदा के लिए तन्हा किया,
मेरे दिल को तूने बिखरा दिया
कैसे रह पाऊंगा ये दोस्त तेरे बिना
तुझसे मिलने का न जाने क्या-क्या बहाना किया
सुला लेता तू अपनी मैय्यत पे मुझे
ये एक आखिरी गुनाह भी कबूल था
दुआ करूँगा इस मरणलोक से
तू सदा मेरे हृदय में सलामत रहे
वादा करता हूं कभी एक दिन जरूर मिलूंगा
उस जल्लाद मौत के सामने
फिर न दुनियां वालों का डर होगा
न ही चिंता जिन्दा रहने की
बस उस पल का इंतज़ार है
बस उस पल का इंतज़ार है..
I miss u a lot mere dost kabhi na bhool paunga tujhe.....I love u
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