हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Friday, 7 September 2018

गुड़िया

वो एक ऐसी गुड़िया है जिसके बारे में जितना भी लिखा जाए उतना ही कम होगा
मैंने भी अपने उन जज्बातों को शब्दों के माध्यम से लिखित रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है जो सिर्फ और सिर्फ इसके बारे में हैं। " मेरी गुड़िया " 


काली काली रातों में
सपनों वाली बातों में
उसमें सो जाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं

अनुरक्त भरे जज्बातों का
जाम उसकी आंखो का
पीकर रह जाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं

ठहरी वो हूर परी
उर गुलशन की लाल कली
पाने को मचलाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं

इन्द्र शैय्या सी बाहों में
मीरा सी निगाहों में
हर दम खो जाता हूं
हां मै उसका हो जाता हूं

एक होंठो की चाहत का
एक क़दमों की आहट का
दीवाना हो जाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं

उसके लफ़्ज़ों की फुहार को
पायल सी झनकार को
सुन मंत्र मुग्ध रह जाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं
    
                                  ©NutanPath


Monday, 3 September 2018

गुरु

➤गुरु और शिष्य की परंपरा भारतीय संस्कृति का अहम् हिस्सा है यह परंपरा सदियों से चली आ रही है कहा जाता है की पहला गुरु माता-पिता ही होते हैं लेकिन माता - पिता जन्म तो दे देते  है लेकिन जीवन जीने का सलीका शिक्षक के बगैर नही मिल सकता क्यूंकि वो एक सफल मार्गदर्शक , नेत्रत्वकर्ता , विचारक और निर्णायक होता है एक सफल समाज के निर्माण में शिक्षक का ही हाथ होता है आज जो भी व्यक्ति वर्तमान में  जहाँ पर है वो किसी न किसी शिक्षक की देन है अगर भारतीय इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाये तो जब भी कोई समाज में नया परिवर्तन हुआ है या फिर कोई नए तंत्र की नींव रखी गयी है तो उसमे एक कुशल शिक्षक का हाथ रहा है

➧" महाभारत " स्वयं में एक विशाल जाना-माना उदहारण है जिसका नेत्रत्व 'धर्म की अधर्म पर विजय ' के लिए स्वयं गुरुओं ने किया

वेदों में गुरु को ही सर्वोच्च ब्रह्म का स्थान दिया गया है :-
"गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।
गुरू साक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः॥"]

Guru is Brahma, Guru is Vishnu,
Guru is Maheshwara (Shiva),
Guru is Supreme Brahman Itself
Prostration unto that Guru


 ➽ अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरू' कहा जाता है-

 "अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया,चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः' 
आज की इस रचना में मैं  गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए अपने सभी गुरुजनों को  सादर प्रणाम करता हूँ .



ज्ञान का भण्डार है 
स्नेह का आधार है 
इंसान को इंसान बना दे 
उसकी महिमा अपरम्पार है 
मिटाता अज्ञानता का अंधकार 
बन जाता संकट का यार 
होता है आशीष पतवार उसका 
हो जाती जीवन नैय्या पार 

समानता है जिसका धर्म 
है ईश्वर का इकलौता मर्म 
है सत् पथ का सन्यासी 
उसकी छाँव में मथुरा - काशी 
दिव्य यथार्थ का ज्ञान कराये 
तूफानों में जीना सिखलाये 
मानवता का वह धर्मी 
सफल राष्ट्र की रीढ़ कहलाये 

एक पथ प्रदर्शक
भविष्य का दर्शक 
आज में जीना सिखलाये 
ज्ञान की परिभाषा भी अब 
बुद्ध , विवेक और कलाम कहलाये 
सीखे हैं जिनसे आदर्श 
कर सकूँ जीवन में संघर्ष
इस छोटी सी लेखनी से 
उनका वर्चश्व सुनाता हूँ 
उन कृतार्थ गुरुओं के आगे 
अपना शीष झुकाता हूँ 
मैं उनकी महिमा गाता हूँ 
    
                      
                                                    - NUTAN PATH


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Sunday, 2 September 2018

श्री कृष्ण

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रस्तुत स्वरचित रचना में " कृष्णा " जोकि इस श्रष्टि का महाज्ञानी , पालनकर्ता  तथा एक महागुरु का स्वरुप हैं के व्यक्तित्व को गढ़ने का प्रयास किया गया है उनके जीवन काल व उनके चरित्र के बारे में जितना कुछ कहा जाये तो वो सिर्फ एक सागर में एक बूँद के सामान होगा , एक ऐसा शख्स जो सम्पूर्ण गीता का ज्ञान अपनी जिव्ह्या पर रखे तो उसके बारे में सम्पूर्णता नही लिखा जा सकता जो स्वयं में एक परमेश्वर का रूप हो उसके लिए सिर्फ हम अपना सबसे अच्छा लिखने का प्रयास ही कर सकते हैं 



तुम हो अलफ़ाज़ मेरे 
तुम हो आगाज़ मेरे 
तुम हो यार मेरे 
तुम हो दिलदार मेरे 
तुम हो वजूद मेरे 
तुम हो महबूब मेरे 
तुम हो अफसाना मेरे 
तुम हो पैमाना मेरे 
मेरा विश्वास भी तुम 
मेरी हर श्वांस भी तुम 
राधा का प्यार तुम 
मीरा का इंतज़ार तुम 
महाभारत के कर्णधार तुम 
मानवता की बहार तुम 
गीता का महाज्ञान तुम 
हम सबका महाकन्यान तुम 


                                     - नूतन पथ 

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Being a human

 इस मृत्युलोक में मानव का सबसे विराट वहम यह है कि वह जो देख रहा उन सब चीजों का मालिक बनना चाहता है और वो भी सदा के लिए। मन में एक लालसा बनी ...