हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Saturday, 6 January 2018

प्यार की ठोकरें


भूल जाऊंगा तुझे तेरी ख़ुशी के लिए
लेकिन मेरा दिल गवारा नहीं करता
बस एक मौका तो दिया होता मुझे
बस मैं फिर किसी और का सहारा न करता
बिखर जाऊँगा फिर संवर भी जाऊंगा
बस तेरी यादों में बस कर रह जाऊंगा
हजारों ठोकरें खाईं हैं इस दिल ने
फिर एक ठोकर और सह कर जाऊंगा
मेरी जिंदगी तो लोहे की उल्टी कीलों पर चल रही है
बस थोड़ा पत्थर दिल होकर उनसे भी गुज़र जाऊंगा
अगर हो सच्ची मोहब्बत इस पत्थर दिल से
तो अपना लेना इसे सागर में डूब जाने से पहले
वरना बहुत कोशिशों के बाद भी नज़र न आऊंगा

                                   -Mksharma



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