हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Tuesday, 23 January 2018

नूर

कितनी ख़ुशी मिलती है न जब जिसकी चाह हो वो मिल जाये चाहे वो जीवन का लक्ष्य वो या कोई सपना या फिर प्यार। वैसे ये सब हर किसी को नहीं मिलते ,उन्हीं को मिलते हैं जिसने सच्चे हृदय से पाने की चेष्ठा की हो।


हों मुश्किलें तो सफर का मज़ा ही कुछ और है
हो रूठना-मनाना तो इश्क़ का मज़ा ही कुछ और है
ज़ज़्बातों के ताजमहल होते तो सबके पास हैं
लेकिन मिल जाये नूर जिसको उसके जहाँ का मज़ा ही कुछ और है

-Mksharma

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