दोस्तों आज इस प्रशासन के हालात हमारे पूज्यनीय दादा जी (श्री रामकृष्ण ) द्वारा रचित कुछ पंक्तिओं के माध्यम से समझते हैं की आज इस युग में हमारा प्रसाशन कैसा है ?
करत - करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान
और बाद में खींचते कानन तीर कमान
कानन तीर कमान खींचते देखे कई मिनिस्टर
जिनके आगे भैंस बराबर होता काला अक्षर
नेतागीरी करते - करते घाघ हो गए
पहले थे बकरी अब मानो बाघ हो गए
-पूज्यनीय दादा जी (श्री रामकृष्ण)
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