हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Friday, 7 September 2018

गुड़िया

वो एक ऐसी गुड़िया है जिसके बारे में जितना भी लिखा जाए उतना ही कम होगा
मैंने भी अपने उन जज्बातों को शब्दों के माध्यम से लिखित रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है जो सिर्फ और सिर्फ इसके बारे में हैं। " मेरी गुड़िया " 


काली काली रातों में
सपनों वाली बातों में
उसमें सो जाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं

अनुरक्त भरे जज्बातों का
जाम उसकी आंखो का
पीकर रह जाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं

ठहरी वो हूर परी
उर गुलशन की लाल कली
पाने को मचलाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं

इन्द्र शैय्या सी बाहों में
मीरा सी निगाहों में
हर दम खो जाता हूं
हां मै उसका हो जाता हूं

एक होंठो की चाहत का
एक क़दमों की आहट का
दीवाना हो जाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं

उसके लफ़्ज़ों की फुहार को
पायल सी झनकार को
सुन मंत्र मुग्ध रह जाता हूं
हां मैं उसका हो जाता हूं
    
                                  ©NutanPath


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