हिंदी कविताएं , लेख और कहानियां

Saturday, 30 December 2017

"HAPPY NEW YEAR-2018"


आने वाले कल के लिए आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं, आशा करता हूँ आने वाला कल आपके जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय हो।

मैं अपनी स्वरचित कुछ पंक्तियों के माध्यम से बीते कल तथा वर्तमान के कुछ अनुभव साझा करना चाहूँगा।

-:2018:-
जो चला गया उसे भूलकर ख़बरदार करो
जो आज है उसके संग विहार करो
जीवन-आनंद के यही चन्द सलीके हैं
आने वाले कल का तुम सत्कार करो

-:2017-18:-
कुछ विजयी हुए तो कुछ को हार मिली
कुछ डर गए तो कुछ की नौका पार हुई
अब आगामी जंग के खातिर खुद को तैयार करो
आने वाले कल का तुम सत्कार करो

                              -mksharma _baba

Saturday, 23 December 2017

'बस म्यूजिक का आनंद लीजिये'

म्यूजिक एक ऐसा माध्यम है जहाँ हर एक समस्या का समाधान है आप जीवन के किसी भी सीढ़ी में म्यूजिक को आधार बनाकर खुश रह सकते हैं ये केवल एक मनोरंजन का ही साधन नहीं अपितु एक सस्ता टिकाऊ खुश रहने का साधन भी है।
इस कविता में आपके प्रारम्भ में कुछ यौवनावस्था के क्षण और कुछ आखिरी में बचपन के यादें छिपी हुईं हैं अगर आपको म्यूजिक पसंद हो और इस कविता से आपका थोड़ा सा भी संबध निकले तो मुझे comment करियेगा।
धन्यवाद


भारी मन को
बहके हुए तन को
एक नव रंग दीजिये
बस म्यूजिक का आनंद लीजिये


किसी से हारे हो
भावनाओं के मारे हो
बस नयनों को बंद कीजिये
और म्यूजिक का आनंद लीजिये


कुछ होने का डर हो
मन चिंताओं का घर हो
बस एक ग्लास ठंडा पानी पीजिये
और म्यूजिक का आनंद लीजिये


स्वास्थ्य का डगमगाना हो
औषधियों से घबराना हो
बस धैर्य का बंधन बांधिये
और म्यूजिक का आनंद लीजिये


कुछ खो जाने का गम हो
निराशा का तूफ़ान संग हो
बस होंठों पर एक प्यारी मुस्कान रच लीजिये
और म्यूजिक का आनंद लीजिये


पुस्तकों का बोझ हो
फ़ेल होने का संक्षोभ हो
बस मन से थोड़ा मनन कीजिये
और म्यूजिक का आनंद लीजिये


घर में शिकायत होने का भय हो
शैतानियों का पिटारा रंगमय हो
बस चुपचाप घर में प्रवेश कीजिये
और म्यूजिक का आनंद लीजिये


घर में मार पड़ने का खतरा हो
पापा का कहर बिखरा हो
बस sorry बोलने में देरी न कीजिये
और म्यूजिक का आनंद लीजिये

-Mksharma











Thursday, 21 December 2017

वाद्य यंत्रों की शिक्षा

आइये शास्त्रीय संगीत के वाद्य यंत्रों के माध्यम से हम जीवन जीना सीखते हैं-


हारमोनियम कहती है मीठा बोलो
घुँघरू से सीखो झूमना
शीतलता सितार सिखाता
और बाँसुरिया भक्ति रस को चूमना

तबला कहता है स्वरवान रहो
ढोल सिखाता है ऊंचाई
वीणा से सीखो ध्यान लगाना
और प्यार सिखाती शहनाई
                
                         -mksharma

Friday, 15 December 2017

तुम पास आये


जब तुम किसी से प्यार करो और वो भी तुम्हारी भावनाओं को समझ ले, लेकिन दोनों मूक रहें..
तब वो Romio कहेगा-

सोचा अपने हृदय को आबाद करूँ
बीते हुए कल को आज शबाब करूँ
क्यों चली जाती हो दूर यूँ रसीली मुस्कानें देकर
थोड़ा ठहर जाओ पास तो कुछ बात करूँ

तअल्लुक नहीं था कोई मेरा
तुझे मेरी ओर खींचने का
फिर भी ये नटखट दिल कहता है
तेरी धमनियों और शिराओं से मुलाक़ात करूँ

छिपी हुई है जिसमें मेरी रातों की करवटें
क्यों मैं तकिये को सीने से मिलाप करूँ?
रच रखा है ऐसे जज़्बातों को एक पात में
वक़्त मिले कभी तो मैं तुझे सौगात करूँ

Monday, 11 December 2017

हँसिका


कुछ भावनाओं को समक्ष नहीं लिखित रूप में ही व्यक्त करना  उचित होता है।

एक ढलती शाम भी कम लगती है
जब हम दोनों साथ होते हैं
दिन भी न जाने कितनी तीव्रता से गुजरता है
जब तेरे हाथ मेरे हाथ में होते हैं
ये धरती भी खिलता गुलाब होती है
जब तेरा ललाट मेरे कंधों पर होता है
इस उर का सरोवर भी झूम जाता है
जब तेरे लव्ज़ मेरे दिल की गहराइयों में समाते हैं
वो भी पराग का आशियाना लगता है
जब भी मेरा नाम तेरे होंठों से रसता है
गुल की खुशबू भी फीकी पड़ जाती है
जब वो हंसिका मेरे पास हो गुज़र जाती है
अब इस चाँद की चाँदनी भी फीकी नहीं रही
क्योंकि वो भी इस उर सरोवर में रोज नहाती है
                                               -Mksharma
                                               🍒

                       






Thursday, 7 December 2017

कोई नहीं



आज मेरे दिल की फ़िजाओं का रुख कुछ ऐसा है,
      पानी पर शब्दों को तराशने जैसा है।
       बहती समीर भी अब ठहरी हुई है,
    वो कान्हा की बंसी भी मूक हो मुड़ी हुई है।
सूरज की रश्मियां भी पात पे गिरकर ठहर जा रहीं हैं,
        वो वाचाल कतार भी टूटी हुई सी है।
ललाट उठाकर देखा तो पृष्ठ दिखा उस पंखु का,
जो कल मेरी कलियों के आंचल में सो रहा था।
           -mksharma

Being a human

 इस मृत्युलोक में मानव का सबसे विराट वहम यह है कि वह जो देख रहा उन सब चीजों का मालिक बनना चाहता है और वो भी सदा के लिए। मन में एक लालसा बनी ...